नालंदा(एनएच लाइव बिहार के लिए एके सविता।)
Edited by Prince Dilkhush
बिहारशरीफ। युवाओं के दिलों से लेकर राजनैतिक मंचों पर अपनी अमिट छोड़ने वाले ‘आप’ के वरिष्ट नेता तथा राष्ट्रीय कवि ‘कुमार विश्वास’ को पहली बार नालंदा के लोगों ने स्थानीय श्रम कल्याण मैदान में दैनिक जागरण के तत्वावधान में रविवार की शाम आयोजित अखिल भारतीय कवि सम्मेलन में सुना।
प्रख्यात कवि कुमार विश्वास ने जैसे ही मंच पर माइक संभाली, पूरा मैदान तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। मोहब्बत के गीत में अपनापन व बेवफाई का अहसास कराया। वहीं राजनीतिक कटाक्ष से नेताओं पर प्रहार भी किया। देशभक्ति गीत से देशभावना को जागृत किया । मोहब्बत एक एहसास की पावन कहानी है, सुना है द्वार पर पलकों के पहरदार बैठे हैं.. जैसे ही यह कविता पाठ किया कि युवा झूम उठे। आगे की पंक्तियां मैंने अपने गीत गजलों से उसे पैगाम करता हूं। उसी की दी हुई दौलत उसी के नाम करता हूं। हवा का काम है चलना, दीये का काम है जलना। वो अपना काम करती है, मैं अपना काम करता हूं .. को भी काफी सराहना मिली।मोहब्बत के आंतरिक अहसास को भी अपनी कविता द्वारा जगाने का प्रयास किया। मेरे जीने में मरने में तुम्हारा नाम आएगा। मैं सांसें रोक लूं फिर भी इल्जाम आएगा। अगर राधा पुकारेगी तो घनश्याम आएगा। अपनी नई कविताओं का भी पाठ किया।
झूम रही है मेरे गीतों पर दुनिया, तब कहती हो कि प्यार हुआ है, क्या यह एहसान तुम्हारा है। श्रोताओं की चाहत पर जब अपनी प्रसिद्ध गीत कोई दीवाना कहता है, कोई पागल समझता है.. जब सुनाया तो युवावर्ग अपनी अपनी जगह पर ही नाच उठे और विश्वास के साथ खुद गीत कोरस की तरह गाने लगे। देशभक्ति गीत ओठों पर गंगा हो, हाथों में तिरंगा हो पेश कर देशभक्ति की धारा प्रवाहित कर दी। सैनिकों के सम्मान हम वेतन के लिए काम करते है, सैनिक वतन के लिए काम करते है को खूब सराहा गया। बदलते राजनीति पर सियासत मैं तेरा पाया या खोया हो नहीं सकता। तेरी शर्त पर गायब या नुमाया हो नहीं सकता के द्वारा राजनीतिक हालात की ओर इशारा किया। बीच-बीच में अपनी तीखी टिप्पणी व मीठी छेड़छाड़ के अंदाज से भी श्रोताओं को खूब गुदगुदाया। एशिया के हम परिंदे है, आसमां है जद हमारी। जानते है सूरज चांद, जिद्द है हमारी, जद है हमारी। हम वही जो शून्य में भी शून्य रचते है निरंतर, हम है देसी मगर देश में छाए है हम के माध्यम से यूपी बिहार की मेधा का मजबूती से अहसास दिलाया। जिंदा रहने का असल अंदाज सिखलाया हमने, जिंदगी है,जिंदगी की बात समझाया हमने को भी लोगों ने पसंद किया। विश्वास ने श्रोताओं को अंत तक बांधे रखा।पूरे कवि सम्मेलन में ऐसा कोई राजनीतिक दल व कद्दावर नेता नहीं था जो कवियों के राडार पर नहीं था।कुमार विश्वास ने नयी पीढ़ी को सभ्यता व संस्कृति का पाठ पढ़ाया तो वही राष्ट्रीयता का भाव जागृत कर यह संदेश देने की कोशिश की तिरंगा से बड़ा कोई नहीं है।मगध की धरती से जुड़े तमाम बड़ी हस्तियों व कवियों का जिक्र कुमार विश्वास ने किया।महाकवि रामधारी सिंह दिनकर,फणीश्वर नाथ रेणु,गोपाल सिंह नेपाली,नागार्जुन को स्मरण करते हुए उन्होंने बिहार को उनके गौरव का अहसास कराया।उन्होंने कहा कि विश्व की राजनीति में हिटलर ने यह सिखाया कि जो काम का आदमी हो उसे अपना दोस्त बना लो लेकिन भारत ने सिखाया जो दोस्त हो उसको काम का आदमी बना दो।नालंदा की वाइब्रेशन का अंदाजा आप इसी से लगा सकते है कि कुमार विश्वास आज अपनी पूरी रौ में आ गए ।आज उन्होंने अपना पूरा सम्पूर्ण देने की कोशिश की।उन्होंने कहा कि नालंदा भग्नावशेष मात्र नहीं है बल्कि हर ईंट टकराएगी तो शिवलिंग बन जाएगी।नालंदा ने आज कुमार विश्वास का विश्वास चौगुना कर दिया। वही कवित्री अनामिका अम्बर जैन,कवि चिराग जैन,आशीष अनल व महेंद्र अजनबी के कविता पाठ ने भी दर्शकों को खूब झुमाया।कवि सम्मेलन का उद्घाटन मंत्री श्रवण कुमार,सांसद कौशलेंद्र कुमार,डीएम डॉ. त्यागराजन,एसपी कुमार आशीष,डीडीसी कुंदन कुमार ने संयुक्त रूप से किया।
राजनीतिक प्रहारक के रूप में भारत के प्रख्यात कवि ‘आप’ के वरिष्ट नेता तथा राष्ट्रीय कवि डॉ॰ कुमार विश्वास हिन्दी के एक अग्रणी कवि तथा सामाजिक-राजनैतिक कार्यकर्ता हैं। कविता के क्षेत्र में शृंगार रस और वीर रस के गीत इनकी विशेषता है।
मैं बताते चलूं कुमार विश्वास का जन्म 10 फ़रवरी (वसंत पंचमी), 1970 को हुआ था। बारहवीं कच्छा से उत्तीर्ण होने के बाद उनके पिता उन्हें इंजीनियर बनाना चाहते थे। डॉ॰. कुमार विश्वास का मन इंजीनियर की पढ़ाई में नहीं लगा और उन्होंने बीच में ही वह पढ़ाई छोड़ दी। साहित्य के क्षेत्र में आगे बढ़ने के ख्याल से उन्होंने स्नातक और फिर हिन्दी साहित्य में स्नातकोत्तर किया, जिसमें उन्होंने स्वर्ण-पदक प्राप्त किया। तत्पश्चात उन्होंने "कौरवी लोकगीतों में लोकचेतना" विषय पर पीएचडी प्राप्त किया। उनके इस शोध-कार्य को 2001 में पुरस्कृत भी किया गया।
विश्वास’ जी नए अंदाज में कविताएं पढ़ने में माहिर हैं। मूलत: पिलखुआ, ग़ाज़ियाबाद, उत्तर प्रदेश में जन्में चार भाईयों और एक बहन में सबसे छोटे कुमार विश्वास जी ने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा लाला गंगा सहाय विद्यालय, पिलखुआ से प्राप्त की।
उत्तर प्रदेश के मूल रूप से रहने वाले कवि डा.कुमार विश्वास ने जब बिहारी राजनीति पर व्यंगात्मक कविताएं शुरू की तो लोग लोटपोट हो गए। वर्तमान समय में दिल्ली में रहने वाले कुमार विश्वास की कविताएं बिहार व इसके प्रसंगों पर ही केंद्रित रहा। कविताओं के माध्यम से बिहार बदनाम के लिए यहां के नेताओं को ही जिम्मेवार ठहराया।
उनकी एक-एक पक्तियां सामाजिक कुरीतियां, धर्म की आड़ में शोषण, तहजीब का हवाला देकर महिलाओं को उनके अधिकार से वंचित करने के मुद्दों पर गंभीर सवाल खड़ा किया। बिहार में बरामद शराब को चूहों द्वारा पीने पर भी व्यंग्य कसा। उदासी को सदा उल्लास का सुरताल देते हैं, मुस्कानों में अक्सर आंसुओं को ढाल देते हैं।
काव्यरस की फुहारों में नहाई उदन्तपुर की नगरी
बिहारशरीफ
दिन में लू के थपेड़ों के बाद रविवार की रात मंद मंद हवा चल रही थी। हवा के शीतल झोंकों ने पूरे माहौल को खुशनुमा बना दिया था। जैसे आसमां तक काव्यरस की बदरी घिर चुकी थी और उसके फुहारों में ऐतिहासिक उदन्तपुरी की धरती पूरी तरह भींगती नजर आई। मौका था रविवार की रात स्थानीय श्रम कल्यान मैदान में दैनिक जागरण के तत्वावधान में आयोजित अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का।
देश के चर्चित कवियों व शायरा ने अपने हास्य-व्यंग्य, वीर, श्रृंगार रस की काव्यधारा में श्रोताओं को देर रात तक सराबोर किया। हास्य व्यंग्य की फुलझड़ी तो छूटी ही, श्रृंगार रस की धारा भी बही। वहीं ओज के कवियों ने देशभक्ति के जरिए धर्म से पहले ¨हदुस्तानी होने का एहसास कराया, तो राजनीति पर कटाक्ष ने बदलते राजनीति परिदृश्य को श्रोताओं के सामने ला खड़ा किया। युवा दिलों पर राज करने वाले जाने-माने राष्ट्रीय कवि कुमार विश्वास, महेंद्र अजनवी,आशीष अनल, अनामिका अम्बर व चिराग जैन की रचनाओं से श्रोता सराबोर होते रहे। कार्यक्रम इस तरह गुजर गया कि किसी को पता ही नहीं चला। कार्यक्रम के समापन तक श्रोता अपने स्थान तक हिले तक नहीं।
कवि सम्मेलन का उद्घाटन मंत्री श्रवण कुमार,सांसद कौशलेंद्र कुमार,डीएम डॉ. त्यागराजन,एसपी कुमार आशीष,डीडीसी कुंदन कुमार,दैनिक जागरण के प्रभारी मुकेश कुमार ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलित कर उदघाटन किया। अतिथियों व कवियों ने दैनिक जागरण के संस्थापक स्व. पूर्णचंद गुप्त, पूर्व प्रधान संपादक स्व. नरेंद्र मोहन के चित्र पर माल्यार्पण कर श्रद्धा सुमन अर्पित किया।
डीएम डॉ. त्यागराजन ने दैनिक जागरण के इस कार्यक्रम की काफी सराहना की। उन्होंने कहा कि छात्र जीवन से ही कुमार विश्वास की कविताओं का प्रशंसक रहा हूं। उस समय इंटरनेट के माध्यम से इनकी कविताएं पढ़ते थे। आज दैनिक जागरण के इस कार्यक्रम में ऐसे हस्ती को सुनकर काफी अच्छा लगा। इतने बड़े कार्यक्रम के लिए उन्होंने जागरण परिवार को धन्यवाद दिया।
डॉ. कुमार विश्वास बिहारशरीफ के लोगों का प्यार देख अभिभूत दिखे। कहा कि अगली बार जब बिहार आना होगा, तो जागरण से बिहारशरीफ के कार्यक्रम में आने का प्रस्ताव जरूर रखूंगा। यहां के लोगों ने मेरा दिल जीत लिया है। उन्होंने कहा कि बिहारशरीफ की भूमि कई अध्यायों को सहेजे हुए है। वैसे भी शिक्षा के क्षेत्र में उदन्तपूरी विश्व विद्यालय और बौद्ध विहार को ले पहले से ही यह शहर चर्चित है। अन्य कवियों ने भी कहा कि यहां के लोगों का काफी प्यार मिला। यहां के लोग काफी जोशीले व समझदार हैं। कवि सम्मेलन का संचालन राष्ट्रीय कवि डा.कुमार विश्वास ने अपनी वहीं चिर परिचित अंदाज में कर सबकों अपनी ओर खींचने को बाध्य कर दिया। आगत अतिथियों व कवियों का स्वागत ब्यूरो प्रभारी मुकेश कुमार ने किया। उन्हें मंच तक ला गुलदस्ता व मोमेंटो दे सम्मानित किया। कार्यक्रम में महिलाओं की भी अच्छी खासी उपस्थिति रही।
वीररस के कवि आशीष अनल जब मंच पर माइक थामे तो उनके सहज अंदाज से लगा कि शायद ये लोगों को गुदगुदाएंगे। हालांकि मंच संचालक डॉ. कुमार विश्वास ने वीररस कवि होने का परिचय दे चुके थे। लेकिन शालीन अंदाज श्रोताओं को असमंजस में डाल दिया। हल्की हंसी के साथ उन्होंने काव्यपाठ शुरू किया। धीरे-धीरे वीर रस की धमक उनकी कविताओं में आने लगी, तो महफिल बिल्कुल शांत हो गया। सरहदों की हिफाजत में अपनी जान जवानी को समर्पित करने वाले सैनिकों के सम्मान में चाहे खबर न बन पाए, अखबारों में, मिल न जाए सलमियां हथियारों की। ये जहरीला घूंट कसम से हंसकर पी जाऊंगा, मेरी लाश को मिले तिरंगा मरकर भी जी जाऊंगा.उनके शौर्य को इन पंक्तियों से श्रृंगार किया। जिस पर मैदान तालियों की गड़गड़ाहट से गुंजायमान हो उठा। समर भवानी का वर्षों के बलिदान का, मजबून नही ठंड होगी। हिमखंडों में खड़े रहे, पर खून नही ठंडा होगा को लोगो ने खूब सराहा। हिंदुस्तान-पाकिस्तान मसले पर कविता के द्वारा पाक को चेताया। हिन्दू-मुस्लिम झगड़े को राजनीतिक चाल बताया। सबको भाई भाई व भाईचारे का संदेश दिया। यहां तो न कोई हिन्दू है और न मुसलमान, हम तो इस हिंदुस्तान के हैं। वीररस के माध्यम से आशीष अनल ने देश के प्रति समर्पण का एक भाव भी जगाया।
इस ऐतिहासिक शाम ने यह सिद्ध कर दिया कि स्वस्थ मनोरंजन के लिए दैनिक जागरण के इस आयोजन का इंतजार लोगों को पूरे साल रहता है। कवियों में शांत सहज व सरल दिखने वाले कवि महेंद्र अजनवी अपनी मीठी आवाज में भी लोगों को ऐसे लोटपोट करते रहे कि सबके पेट में बल पड़ गए। काव्य पाठ का यह सिलसिला देर रात तक चलता रहा।
इससे पहले सम्मेलन का उद्घाटन कुमार राकेश ऋत राजु रचित ऋतु राज जी के द्वारा नालंदा गान से शुरु हुआ, तदोपरांत कवियों के सुर, स्वर व शब्दों की फिरकी में श्रोता ऐसे मदमस्त हुए कि न उन्हें भूख की चिंता रही न प्यास की। दैनिक जागरण की ओर से शहरवासियों को विशुद्ध हंसी परोसने के लिए स्थानीय श्रम कल्याण मैदान में रविवार की शाम कवियों की महफिल सजी जिसमें देश के नामचीन कवियों ने अपने हास्य व्यंगों से लोगों को लोटपोट होने पर मजबूर कर दिया। हास्य रस का ऐसा अद्भुत संयोग बहुत कम ही देखने को मिलता है जिसमें एक ही मंच पर देश के इतने चर्चित कवि एक साथ मौजूद हों।
मंच संचालक राष्ट्रीय कवि डॉ. कुमार विश्वास ने कहा कि शहरवासियों को एक साथ इतना हास्य पान कराया जायेगा कि उन्हें पूरे साल हंसी की कोई कमी नहीं रहेगी। उनकी हर बात निराली थी। उदघाटन के उपरांत मंचासीन कवियों ने ऐसा समां बांधा की लोग लोटपोट होते रहे। यह कार्यक्रम देर रात तक चलता रहा जिसका लोगों ने जमकर लुत्फ उठाया। सम्मेलन के दौरान मुख्य प्रायोजक सहित अन्य प्रायोजकों को कवियों द्वारा सम्मानित किया गया।
बिहारशरीफ श्रम कल्याण मैदान के प्रांगण में रविवार की शाम ऐतिहासिक आयोजन का गवाह बना। श्रोताओं की खचाखच भीड़ और भीड़ के बीच से निकल रही करतल ध्वनि वीराने में भी जान फूंक रही थी। ठहाके, हंसी, व्यंग्य, हास्य परिहास का यह अद्भुत नजारा दैनिक जागरण समूह द्वारा आयोजित कवि-सम्मेलन में देखने को मिला। बेजोड़ प्रस्तुति ने इस आयोजन को शहरवासियों के लिए अविस्मरणीय बना दिया। देर शाम आरंभ होने वाला यह उत्सव कवियों के कटाक्ष व परिहास्य से महोत्सव का रूप धारण कर लिया। श्रोताओं ने भी तालियों की गड़गड़ाहट से कवियों में उर्जा का संचरण करने में कोई कोताही नहीं की। एक के बाद एक छन्द व रस ने श्रोताओं को आंदोलित कर दिया। अब उन्हें न रात के आगोश की चिंता थी न कल के परेशानी की, वे सब कुछ भूल हास्य रस में डूबना चाहते थे। कवयित्री अनामिका अंबर जैन द्वारा प्रस्तुत सरस्वती वंदना से कार्यक्रम की शुरूआत की गई। इसके बाद तो हंसी, ठहाके का सिलसिला चला जो देर रात तक थमने का नाम नहीं ले रहा था। मंच का संचालन वीर रस के चर्चित राष्ट्रीय कवि डा. कुमार विश्वाश ने की। उन्होंने बिहार को परिभाषित करते हुए कहा कि जो हार न माने वो बिहार है। लोगों के हंसने खिलखिलाने का सिलसिला पूरी रात चलता रहा। न लोगों के तालियों के गड़गडाहट की आवाज शांत हुई न कवि के कटाक्ष का सिलसिला। पूरे रात लोग मस्ती में ठहाके लगाते रहे। इस मौके पर लक्ष्मी ट्रैक्टर के संचालक, केएसटी कालेज के प्राचार्य डा. अशोक कुमार सिंह, आदि का प्रायोजक का सराहनीय योगदान रहा।
इस अवसर पर जिला भूअर्जन पदाधिकारी श्री सुबोध कुमार सिंह, सूचना एवं जनसम्पर्क पदाधिकारी लाल बाबू सिंह, शिक्षक संघ के राज्य परिषद सदस्य राकेश बिहारी शर्मा, नालन्दा के पखर साहित्यकार, गीतकार श्री हरिश्चंद्र प्रियदर्शी, शिक्षक संघ के पूर्व महासचिव मो तस्लीमुद्दीन, फिल्मकार एसके अमृत, समाजसेवी अजय सिंह, उपन्यासकार शशिभूषण इत्यादि लोगों ने भाग लिया।