Saturday, 15 July 2017

नीम एक चमत्कारी पेड़ इसे सुरक्षित रखें :सुबोध कुमार सिंह।

एनएच लाइव बिहार के लिए एके सविता की रिपोर्ट।
Edited by Prince Dilkhush

नालंदा(बिहारसरीफ) :


नागपंचमी पर्व पर बिहारशरीफ के हिरण्यक पर्वत पर मिशन हरियाली के सदस्यों के साथ पच्चीस पीपल के पौधे जिला भूअर्जन पदाधिकारी नालंदा श्री सुबोध कुमार सिंह और जिला सुचना एवं जनसम्पर्क पदाधिकारी श्री लालबाबू सिंह के नेतृत्व में लगाये गये।

लेकिन जैसे ही आज लोगों को नीम के पेड़ को तोड़ते हुए देखा तो दोनों पदाधिकारी बिफर पड़े मौके पर श्री सुबोध कुमार सिंह और श्री लालबाबू सिंह ने कहा कि वायु पुराण में वृक्ष को ईश्वर का प्रतिरूप बताया गया है। पर किसी पूजा-पाठ के नाम पर पेडों को तोड़ना, उन्हें नष्ट करना किसी भी धर्म में मान्य नहीं । नागपंचमी के दिन  नीम के पत्तियों को घर में लाना एवं उनका उपयोग करने की परंपरा  के पीछे आध्यात्मिक के साथ-साथ वैज्ञानिक चेतना भी हो सकती है। परन्तु पत्तियों की जगह बड़े-बड़े डाल को तोड़ना और पेड़ों को नुकसान पहुंचाने की कुप्रवृत्ति को धार्मिक आस्था की आड़ में जघन्य हिंसा का ही एक रूप है।  होना तो यह चाहिए कि इस दिन नीम के पेड़ को हम लोग लगाते और उसे संरक्षित संवर्धित करने का संकल्प लेते।

परंपरा के नाम पर वृक्ष को हानि पहुंचाने एवम  पूजा पाठ के नाम पर किसी भी जीव की हत्या किए जाने वाले धर्मों में ईश्वर अपने भक्तों के कृत्य पर दुखी ही होते होंगे।
नीम पूजा का त्योहार यानि नागपंचमी है तो आज नीम से फायदा के बारे में बताते हुए लोगों ने हिरण्यक पर्वत पर चर्चा के दौरान कहा कि त्योहार तो बस मनाने के लिए होते है। खुशी, मस्ती, जोश और अपनेपन की भावनाएं त्योहारों के माध्यम से अभिव्यक्त की जाती हैं। फसलें काटने का त्योहार हो या फिर फसल घर लाने का त्योहार सभी में किसान ख़ुशी मनाते हैं।आज नीम पूजा का त्योहार है तो आज नीम से फायदा के बारे में लोगों ने बताया। नीम एक चमत्कारी पेड़ माना जाता है। भारत में इसके औषधीय गुणों की जानकारी हजारों सालों से रही है।
 आज भारत के कई राज्यों में जैसे बिहार, बंगाल, राजस्थान में नागपंचमी का त्योहार मनाया जाता है। नागपंचमी और नागों से जुड़ी कई मान्यताएं हैं जिंसके कारण यह त्योहार मनाया जाता है।

ऐसी मान्यता है कि नागपंचमी के दिन घर के मुख्यद्वार पर गाय के गोबर से नाग बनाकर उनकी पूजा करने से घर में सांप का भय दूर होता है। पुराणों में भी इस बात का उल्लेख किया गया है। नीम में इतने गुण हैं कि ये कई तरह के रोगों के इलाज में काम आता है। यहाँ तक कि इसको भारत में ‘गांव का दवाखाना’ कहा जाता है। यह अपने औषधीय गुणों की वजह से आयुर्वेदिक औषधि में पिछले हजारों सालों से भी ज्यादा समय से इस्तेमाल हो रहा है।
नीम के अर्क में मधुमेह यानी डायबिटिज, बैक्टिरिया और वायरस से लड़ने के गुण पाए जाते हैं। नीम के पत्ते, तने, जड़, छाल और फलों में शक्ति-वर्धक और कई रोगों से लड़ने का गुण है। इसकी छाल खासतौर पर मलेरिया और त्वचा संबंधी रोगों में बहुत उपयोगी होती है।

नीम के पत्ते भारत से बाहर कई देशों को निर्यात किए जाते हैं। इसके पत्तों में मौजूद बैक्टीरिया से लड़ने वाले गुण मुंहासे, छाले, खाज-खुजली, एक्जिमा वगैरह को दूर करने में मदद करते हैं। इसका अर्क मधुमेह, कैंसर, हृदयरोग, एलर्जी, अल्सर, पीलिया इत्यादी कई रोगों में इससे इलाज किया है। 
प्राकृतिक चिकित्सा की भारतीय प्रणाली ‘आयुर्वेद’ के आधार-स्तंभ माने जाने वाले दो प्राचीन ग्रंथों ‘चरक संहिता’ और ‘सुश्रुत संहिता’ में नीम के लाभकारी गुणों की चर्चा की गई है। इस पेड़ का हर भाग इतना लाभकारी है की जिससे इसको लोग “सर्व-रोग-निवारिणी पेड़” यानी ‘सभी बीमारियों की दवा।’ लाख दुखों की एक दवा! कहते हैं।
इस धरती की तमाम वनस्पतियों में से नीम ही ऐसी वनस्पति है, जो सूर्य के प्रतिबिम्ब की तरह वनस्पतियों का शिरमौर प्रदान करना चाहिए।

इस अवसर पर प्रकृति प्रेमी राकेश बिहारी शर्मा, मिशन हरियाली के सदस्य धनन्जय कुमार,पत्रकार आनंद कुमार, बंटी कुमार, बड़ी पहाड़ी निवासी राकेश कुमार ने पौधरोपण में सहयोग किया।

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