नालंदा(एनएच न्यूज़ लाइव के लिए एके सविता की रिपोर्ट।)
Edited by Prince Dilkhush
नालंदा(बिहारशरीफ) : रविवार को सुबह 10 बजे स्थानीय बिहारशरीफ के मोगलकुआँ मोहल्ले में राष्ट्रीय नाई महासभा कार्यालय में राष्ट्रीय नाई महासभा के तत्वावधान में माँ के सम्मान में मातृ दिवस पर परिचर्चा का आयोजन किया गया।जिसकी अध्यक्षता राष्ट्रीय नाई महासभा के प्रदेश सचिव विनय कुमार आलोक ने किया।
इस मौके पर राष्ट्रीय नाई महासभा के पदेश महासचिव सह प्रदेश प्रवक्ता शिक्षाविद् राकेश बिहारी शर्मा ने कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए अपने उद्बोधन में कहा कि माँ को अनेक शब्द माँ, अम्मा, मम्मी, ममा, आई, माता, माई, मैया जैसे रूपों या शब्दों से पुकारा जाता है लेकिन जैसे ही माँ को पुकारा जाता है हमारी आखो में एक अलग ही चमक देखने को मिलती है माँ शब्द में असीम प्यार छुपा हुआ है माँ शब्द अपने आप में पूर्ण है जिसकी तुलना किसी से भी नहीं की जा सकती है। जब ईश्वर ने यह दुनिया बनाया तो उसकी सर्वश्रेष्ठ रचना माँ ही हुई, ईश्वर तो हर किसी के पास तो जा नही सकता है इसलिए उसने अपने से बढकर हम सभी के पास माँ को भेज दिया।
उन्होंने कहा कि दुनिया की हर नारी में मातृत्व वास करता है। बेशक उसने संतान को जन्म दिया हो या न दिया हो। नारी इस संसार और प्रकृति की ‘जननी’ है। नारी के बिना तो संसार की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। इस सृष्टि के हर जीव और जन्तु की मूल पहचान माँ से होती है। अगर माँ न हो तो संतान भी नहीं होगी और न ही सृष्टि आगे बढ पाएगी। माँ अपनी समस्त खुशियां अपनी संतान के लिए त्याग देती हैं, क्योंकि पुत्र कुपुत्र हो सकता है, पुत्री कुपुत्री हो सकती है, लेकिन माता कुमाता नहीं हो सकती है । एक संतान माँ को घर से निकाल सकती है लेकिन माँ हमेशा अपनी संतान को आश्रय देती है। एक माँ ही है जो अपनी संतान का पेट भरने के लिए खुद भूखी सो जाती है और उसका हर दुख दर्द खुद सहन करती है। लेकिन समाज में आज के समय में बहुत सारे ऐसे लोग भी हैं, जो अपने मात-पिता को बोझ समझते हैं। और उन्हें वृधाआश्रम में रहने को मजबूर करते हैं। ऐसे लोगों को आज के दिन अपनी गलतियों का पश्चाताप कर अपने माता-पिताओं को जो वृद्ध आश्रम में रह रहे हैं उनको घर लाने के लिए अपना कदम बढाना चाहिए। क्योंकि माता-पिता से बढकर दुनिया में कोई नहीं होता। माता के बारे में कहा जाए तो जिस घर में माँ नहीं होती या माँ का सम्मान नहीं किया जाता वहाँ दुर्गा, लक्ष्मी और सरस्वती का वास नहीं होता। माता का सम्मान हमें 365 दिन करना चाहिए,एक दिन नहीं। लेकिन क्यों न हम इस मातृ दिवस से अपनी गलतियों का पश्चाताप कर उनसे माफी मांगें। और माता की आज्ञा का पालन करने और अपने दुराचरण से माता को कष्ट न देने का संकल्प लेकर मातृ दिवस को सार्थक बनाएं। माँ कभी भी अपने पुत्र का बुरा नही चाहती है माँ खुद भूखी सो सकती है लेकिन कभी भी अपने संतान को भूखा नही सोने देती है और जिसपर माँ की असीम कृपा हो जाए उसे दुनिया में सर्वश्रेष्ट स्थान मिल जाता है।हमे आगे बढ़ना है तो सबसे पहले अपने माँ का आशीर्वाद हमारे पास होना चाहिए और जिस किसी के पास माँ का आशीर्वाद होंगा फिर उसे आगे बढ़ने और सफल होने से कोई भी रोक नही सकता है, तो आप सभी को एक बार फिर से मातृ दिवस की हार्दिक शुभकामनाये।
जीवन में आगे बढना है तो आप सभी को अपने माँ के आशीर्वाद के साथ रहना बहुत जरुरी है तो आप सभी अपने माँ का सम्मान करे और उन्हें अपने पास रखे और दुनिया की हर ख़ुशी देने का प्रयास जरुर करे। जननी और जन्मभूमि स्वर्ग से भी बढ़कर है। कहा जाए तो जननी और जन्मभूमि के बिना स्वर्ग भी बेकार है क्योंकि माँ कि ममता कि छाया ही स्वर्ग का एहसास कराती है। जिस घर में माँ का सम्मान नहीं किया जाता है वो घर नरक से भी बदतर होता है, संसार में माँ के समान कोई छाया नहीं है। संसार में माँ के समान कोई सहारा नहीं है। संसार में माँ के समान कोई रक्षक नहीं है और माँ के समान कोई प्रिय चीज नहीं है। एक माँ अपने पुत्र के लिए छाया, सहारा, रक्षक का काम करती है। माँ के रहते कोई भी बुरी शक्ति उसके जीवित रहते उसकी संतान को छू नहीं सकती।
इस अवसर पर डॉ० विजय किशोर, अरुण बिहारी शरण,कमलेश कुमार, धीरज कुमार, सुधीर कुमार, संजय कुमार, शम्भु शरण, कमलेश कुमार, संजीव कुमार, कुमार अमिताभ, मनोज कुमार, अखिलेश कुमार, अधिवक्ता अजय कृष्ण, प्रो०महेश्वर ठाकुर, विशुनदेव कुमार, धनंजय कुमार, शिवेंद्र कुमार, अजित कुमार मिश्रा, सुजीत कुमार शर्मा आदि लोग मौजूद थे ।
Edited by Prince Dilkhush
नालंदा(बिहारशरीफ) : रविवार को सुबह 10 बजे स्थानीय बिहारशरीफ के मोगलकुआँ मोहल्ले में राष्ट्रीय नाई महासभा कार्यालय में राष्ट्रीय नाई महासभा के तत्वावधान में माँ के सम्मान में मातृ दिवस पर परिचर्चा का आयोजन किया गया।जिसकी अध्यक्षता राष्ट्रीय नाई महासभा के प्रदेश सचिव विनय कुमार आलोक ने किया।
इस मौके पर राष्ट्रीय नाई महासभा के पदेश महासचिव सह प्रदेश प्रवक्ता शिक्षाविद् राकेश बिहारी शर्मा ने कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए अपने उद्बोधन में कहा कि माँ को अनेक शब्द माँ, अम्मा, मम्मी, ममा, आई, माता, माई, मैया जैसे रूपों या शब्दों से पुकारा जाता है लेकिन जैसे ही माँ को पुकारा जाता है हमारी आखो में एक अलग ही चमक देखने को मिलती है माँ शब्द में असीम प्यार छुपा हुआ है माँ शब्द अपने आप में पूर्ण है जिसकी तुलना किसी से भी नहीं की जा सकती है। जब ईश्वर ने यह दुनिया बनाया तो उसकी सर्वश्रेष्ठ रचना माँ ही हुई, ईश्वर तो हर किसी के पास तो जा नही सकता है इसलिए उसने अपने से बढकर हम सभी के पास माँ को भेज दिया।
उन्होंने कहा कि दुनिया की हर नारी में मातृत्व वास करता है। बेशक उसने संतान को जन्म दिया हो या न दिया हो। नारी इस संसार और प्रकृति की ‘जननी’ है। नारी के बिना तो संसार की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। इस सृष्टि के हर जीव और जन्तु की मूल पहचान माँ से होती है। अगर माँ न हो तो संतान भी नहीं होगी और न ही सृष्टि आगे बढ पाएगी। माँ अपनी समस्त खुशियां अपनी संतान के लिए त्याग देती हैं, क्योंकि पुत्र कुपुत्र हो सकता है, पुत्री कुपुत्री हो सकती है, लेकिन माता कुमाता नहीं हो सकती है । एक संतान माँ को घर से निकाल सकती है लेकिन माँ हमेशा अपनी संतान को आश्रय देती है। एक माँ ही है जो अपनी संतान का पेट भरने के लिए खुद भूखी सो जाती है और उसका हर दुख दर्द खुद सहन करती है। लेकिन समाज में आज के समय में बहुत सारे ऐसे लोग भी हैं, जो अपने मात-पिता को बोझ समझते हैं। और उन्हें वृधाआश्रम में रहने को मजबूर करते हैं। ऐसे लोगों को आज के दिन अपनी गलतियों का पश्चाताप कर अपने माता-पिताओं को जो वृद्ध आश्रम में रह रहे हैं उनको घर लाने के लिए अपना कदम बढाना चाहिए। क्योंकि माता-पिता से बढकर दुनिया में कोई नहीं होता। माता के बारे में कहा जाए तो जिस घर में माँ नहीं होती या माँ का सम्मान नहीं किया जाता वहाँ दुर्गा, लक्ष्मी और सरस्वती का वास नहीं होता। माता का सम्मान हमें 365 दिन करना चाहिए,एक दिन नहीं। लेकिन क्यों न हम इस मातृ दिवस से अपनी गलतियों का पश्चाताप कर उनसे माफी मांगें। और माता की आज्ञा का पालन करने और अपने दुराचरण से माता को कष्ट न देने का संकल्प लेकर मातृ दिवस को सार्थक बनाएं। माँ कभी भी अपने पुत्र का बुरा नही चाहती है माँ खुद भूखी सो सकती है लेकिन कभी भी अपने संतान को भूखा नही सोने देती है और जिसपर माँ की असीम कृपा हो जाए उसे दुनिया में सर्वश्रेष्ट स्थान मिल जाता है।हमे आगे बढ़ना है तो सबसे पहले अपने माँ का आशीर्वाद हमारे पास होना चाहिए और जिस किसी के पास माँ का आशीर्वाद होंगा फिर उसे आगे बढ़ने और सफल होने से कोई भी रोक नही सकता है, तो आप सभी को एक बार फिर से मातृ दिवस की हार्दिक शुभकामनाये।
जीवन में आगे बढना है तो आप सभी को अपने माँ के आशीर्वाद के साथ रहना बहुत जरुरी है तो आप सभी अपने माँ का सम्मान करे और उन्हें अपने पास रखे और दुनिया की हर ख़ुशी देने का प्रयास जरुर करे। जननी और जन्मभूमि स्वर्ग से भी बढ़कर है। कहा जाए तो जननी और जन्मभूमि के बिना स्वर्ग भी बेकार है क्योंकि माँ कि ममता कि छाया ही स्वर्ग का एहसास कराती है। जिस घर में माँ का सम्मान नहीं किया जाता है वो घर नरक से भी बदतर होता है, संसार में माँ के समान कोई छाया नहीं है। संसार में माँ के समान कोई सहारा नहीं है। संसार में माँ के समान कोई रक्षक नहीं है और माँ के समान कोई प्रिय चीज नहीं है। एक माँ अपने पुत्र के लिए छाया, सहारा, रक्षक का काम करती है। माँ के रहते कोई भी बुरी शक्ति उसके जीवित रहते उसकी संतान को छू नहीं सकती।
इस अवसर पर डॉ० विजय किशोर, अरुण बिहारी शरण,कमलेश कुमार, धीरज कुमार, सुधीर कुमार, संजय कुमार, शम्भु शरण, कमलेश कुमार, संजीव कुमार, कुमार अमिताभ, मनोज कुमार, अखिलेश कुमार, अधिवक्ता अजय कृष्ण, प्रो०महेश्वर ठाकुर, विशुनदेव कुमार, धनंजय कुमार, शिवेंद्र कुमार, अजित कुमार मिश्रा, सुजीत कुमार शर्मा आदि लोग मौजूद थे ।

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