नालंदा(एनएच न्यूज़ लाइव के लिए एके सविता )
Edited by Prince Dilkhush
नालंदा : शनिवार को वरीय उपसमाहर्ता सुरेंद्र कुमार, जिला भूअर्जन पदाधिकारी सुबोध कुमार और जिला सूचना जनसंपर्क पदाधिकारी लालबाबू सिंह, शिक्षक संघ के राज्य परिषद सदस्य राकेश बिहारी शर्मा, पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक,प्रकृति प्रेमी आर्जव कुमार, आर्ष कुमार, निशांत भास्कर, तथा मानस मयंक ने मिशन हरियाली,नूरसराय-नालन्दा के सदस्यों के साथ पौधरोपण किया और पूरा तन्मयता से सिंचाई भी किया।
मौके पर वरीय उपसमाहर्ता सुरेन्द्र कुमार, जिला भूअर्जन पदाधिकारी सुबोध कुमार सिंह तथा सूचना एवं जनसम्पर्क पदाधिकारी लालबाबू सिंह ने कहा कि प्राचीन काल से ही मनुष्य और प्रकृति का घनिष्ठ सम्बन्ध रहा है । भोजन, वस्त्र और आवास की समस्याओं का समाधान मनुष्य को वनों से ही प्राप्त होता रहा है । आदि मानव वृक्षों से उसने मीठे-मीठे फल, वृक्षों की छाल और पत्तों से उसने अपना शरीर ढका व लकड़ियों और पत्तियों से अपने घर की छत बनाई। प्राचीन साहित्य भी हमें ताड़-पत्रों पर सुरक्षित लिखा मिलता है ।
प्रकृति का सर्वश्रेष्ठ उपहार हरे-हरे पेड़ है । हरित पेड़ के बिना मानव जीवन की कल्पना करना व्यर्थ है । जन्म से लेकर मृत्यु तक इन पेड़ों की लकड़ी ही उसके काम आती है । इन वृक्षों से हमें शुद्ध ऑक्सीजन मिलती है । धरती पर घने वृक्षों की हरियाली देखकर मन प्रफुल्लित हो उठता है। वृक्ष स्वयं धूप में रहकर हमें छाया देते हैं । जब तक हरे-भरे रहते हैं तब तक हमें फल, सब्जियां देते हैं और सूखने पर ईंधन और घर के लिए लकड़ी देते हैं । इन्हीं वृक्षों की हरी पत्तियों और फलों को खाकर गाय, भैंस, बकरी आदि जानवर दूध देते हैं जिसमें हमें प्रोटीन मिलता है । इन्हीं हरित वृक्षों से पृथ्वी को बंजर होने से बचाया जाता है । पेड़-पौधे भू-क्षरण और रेगिस्तान में पवन स्खलन को रोकते हैं । अपनी हरियाली से मनुष्यों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं और देश की प्रगति में आर्थिक सहयोग देते हैं । फूलों से मधुमक्खियां मकरंद लेकर शहद बनाती हैं जिससे आयुर्वेदिक दवाइयां बनती हैं और वह खाने में उपयोगी होता है । वनों की लकड़ी से हम कागज, लाह, गोंद, प्लाईवुड, सौन्दर्य सज्जा का सामान, खिड़कियां, पलंग, टेबुल, कुर्सी, दरवाजे आदि वनाते हैं। रबड़, कत्था, बीड़ी का पत्ता भी इन्हीं जंगली पेड़ों से मिलता है । भारत में वृक्षों की भी पूजा होती है, जैसे कि पीपल, वट, तुलसी, केला,सम्मी,आंवला आदि । इन वृक्षों में देवताओं का निवास माना जाता है । इसलिए भारत में इन्हें काटना पाप समझा जाता है ।
वृक्ष चिकित्सा के लिए भी उपयोगी हैं जैसे कि नींबू, नीम, तुलसी, आंवला इनके छाल और पत्तों से अनेक प्रकार की जीवनोपयोगी दवाइयां बनती हैं और इनके सेवन से शारीरिक रोग नष्ट होते हैं । प्राचीन काल में अनेक भारतीय दयालु राजाओं ने भी सड़कों के दोनों किनारे पर छायादार और फलादार वृक्ष लगवाए थे। शहरों में कारखानों और यातायात के धुओं से प्रदूषण की समस्या उत्पन्न होती है। वर्षा का समय पर न होना या अतिवृष्टि होना, आदि भी वृक्षों के अभाव के कारण होते हैं ।
प्रत्येक नागरिक का कर्त्तव्य है कि वह अपने जीवन में एक वृक्ष अवश्य लगाए । आज का स्वार्थी मानव पेड़ तो काटता गया लेकिन पेड़ लगाना भूल गया जिससे यह समस्या आज इतनी उग्र हो गई ।पेड़ पृथ्वी की अमूल्य धरोहर है । उनकी रक्षा करना प्रत्येक नागरिक व खासकर विद्यार्थिओं का कर्त्तव्य है और आने वाली पीढ़ी के जीवन को बचाने के लिए हमें वृक्षारोपण करना ही होगा।पौधेरोपण एक सामान्य प्रक्रिया का हिस्सा ही नहीं है बल्कि यह पर्यावरण संस्कार है।
उन्होंने बच्चों को संबोधित करते हुए कहा कि पौधरोपण का यह अभियान "मिशन हरियाली" के द्वारा बच्चे प्रकृति के साथ जुड़ेंगे तो बहुत सुखद अनुभूति होगी। पौधे रोपित करने के लिए पौधे को खुले जगहों पर रोपित कर उसके साथ जुड़ जाना है और पौधा को अपना मित्र बनना है। लोग व बच्चे अपने द्वारा रोपित किए गए पौधे का अपनी पसंद से नाम भी रख सकते है। अपने स्कूल के प्रागण या खुले मैदान में हर दिन अपने पौधे को बढ़ता, फलता-फूलता देखेंगे तो आपको बहुत खुशी होगी।
इस मौके पर पर्यावरणप्रेमी पुतूल सिंह, मिशन हरियाली के अध्यक्ष राजीव रंजन भारती, राजकुमार सिन्हा,हिमांशु,प्रमोद कुमार,सुरेश प्रसाद,शकलदीप विश्वकर्मा,विवेक कुमार,धर्मेन्द्र कुमार,धनंजय कुमार,नील अर्णव,नवीन कुमार लोहानी इत्यादि लोग मौजूद थे।
Edited by Prince Dilkhush
नालंदा : शनिवार को वरीय उपसमाहर्ता सुरेंद्र कुमार, जिला भूअर्जन पदाधिकारी सुबोध कुमार और जिला सूचना जनसंपर्क पदाधिकारी लालबाबू सिंह, शिक्षक संघ के राज्य परिषद सदस्य राकेश बिहारी शर्मा, पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक,प्रकृति प्रेमी आर्जव कुमार, आर्ष कुमार, निशांत भास्कर, तथा मानस मयंक ने मिशन हरियाली,नूरसराय-नालन्दा के सदस्यों के साथ पौधरोपण किया और पूरा तन्मयता से सिंचाई भी किया।
मौके पर वरीय उपसमाहर्ता सुरेन्द्र कुमार, जिला भूअर्जन पदाधिकारी सुबोध कुमार सिंह तथा सूचना एवं जनसम्पर्क पदाधिकारी लालबाबू सिंह ने कहा कि प्राचीन काल से ही मनुष्य और प्रकृति का घनिष्ठ सम्बन्ध रहा है । भोजन, वस्त्र और आवास की समस्याओं का समाधान मनुष्य को वनों से ही प्राप्त होता रहा है । आदि मानव वृक्षों से उसने मीठे-मीठे फल, वृक्षों की छाल और पत्तों से उसने अपना शरीर ढका व लकड़ियों और पत्तियों से अपने घर की छत बनाई। प्राचीन साहित्य भी हमें ताड़-पत्रों पर सुरक्षित लिखा मिलता है ।
प्रकृति का सर्वश्रेष्ठ उपहार हरे-हरे पेड़ है । हरित पेड़ के बिना मानव जीवन की कल्पना करना व्यर्थ है । जन्म से लेकर मृत्यु तक इन पेड़ों की लकड़ी ही उसके काम आती है । इन वृक्षों से हमें शुद्ध ऑक्सीजन मिलती है । धरती पर घने वृक्षों की हरियाली देखकर मन प्रफुल्लित हो उठता है। वृक्ष स्वयं धूप में रहकर हमें छाया देते हैं । जब तक हरे-भरे रहते हैं तब तक हमें फल, सब्जियां देते हैं और सूखने पर ईंधन और घर के लिए लकड़ी देते हैं । इन्हीं वृक्षों की हरी पत्तियों और फलों को खाकर गाय, भैंस, बकरी आदि जानवर दूध देते हैं जिसमें हमें प्रोटीन मिलता है । इन्हीं हरित वृक्षों से पृथ्वी को बंजर होने से बचाया जाता है । पेड़-पौधे भू-क्षरण और रेगिस्तान में पवन स्खलन को रोकते हैं । अपनी हरियाली से मनुष्यों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं और देश की प्रगति में आर्थिक सहयोग देते हैं । फूलों से मधुमक्खियां मकरंद लेकर शहद बनाती हैं जिससे आयुर्वेदिक दवाइयां बनती हैं और वह खाने में उपयोगी होता है । वनों की लकड़ी से हम कागज, लाह, गोंद, प्लाईवुड, सौन्दर्य सज्जा का सामान, खिड़कियां, पलंग, टेबुल, कुर्सी, दरवाजे आदि वनाते हैं। रबड़, कत्था, बीड़ी का पत्ता भी इन्हीं जंगली पेड़ों से मिलता है । भारत में वृक्षों की भी पूजा होती है, जैसे कि पीपल, वट, तुलसी, केला,सम्मी,आंवला आदि । इन वृक्षों में देवताओं का निवास माना जाता है । इसलिए भारत में इन्हें काटना पाप समझा जाता है ।
वृक्ष चिकित्सा के लिए भी उपयोगी हैं जैसे कि नींबू, नीम, तुलसी, आंवला इनके छाल और पत्तों से अनेक प्रकार की जीवनोपयोगी दवाइयां बनती हैं और इनके सेवन से शारीरिक रोग नष्ट होते हैं । प्राचीन काल में अनेक भारतीय दयालु राजाओं ने भी सड़कों के दोनों किनारे पर छायादार और फलादार वृक्ष लगवाए थे। शहरों में कारखानों और यातायात के धुओं से प्रदूषण की समस्या उत्पन्न होती है। वर्षा का समय पर न होना या अतिवृष्टि होना, आदि भी वृक्षों के अभाव के कारण होते हैं ।
प्रत्येक नागरिक का कर्त्तव्य है कि वह अपने जीवन में एक वृक्ष अवश्य लगाए । आज का स्वार्थी मानव पेड़ तो काटता गया लेकिन पेड़ लगाना भूल गया जिससे यह समस्या आज इतनी उग्र हो गई ।पेड़ पृथ्वी की अमूल्य धरोहर है । उनकी रक्षा करना प्रत्येक नागरिक व खासकर विद्यार्थिओं का कर्त्तव्य है और आने वाली पीढ़ी के जीवन को बचाने के लिए हमें वृक्षारोपण करना ही होगा।पौधेरोपण एक सामान्य प्रक्रिया का हिस्सा ही नहीं है बल्कि यह पर्यावरण संस्कार है।
उन्होंने बच्चों को संबोधित करते हुए कहा कि पौधरोपण का यह अभियान "मिशन हरियाली" के द्वारा बच्चे प्रकृति के साथ जुड़ेंगे तो बहुत सुखद अनुभूति होगी। पौधे रोपित करने के लिए पौधे को खुले जगहों पर रोपित कर उसके साथ जुड़ जाना है और पौधा को अपना मित्र बनना है। लोग व बच्चे अपने द्वारा रोपित किए गए पौधे का अपनी पसंद से नाम भी रख सकते है। अपने स्कूल के प्रागण या खुले मैदान में हर दिन अपने पौधे को बढ़ता, फलता-फूलता देखेंगे तो आपको बहुत खुशी होगी।
इस मौके पर पर्यावरणप्रेमी पुतूल सिंह, मिशन हरियाली के अध्यक्ष राजीव रंजन भारती, राजकुमार सिन्हा,हिमांशु,प्रमोद कुमार,सुरेश प्रसाद,शकलदीप विश्वकर्मा,विवेक कुमार,धर्मेन्द्र कुमार,धनंजय कुमार,नील अर्णव,नवीन कुमार लोहानी इत्यादि लोग मौजूद थे।


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