नालंदा,ए.के.सविता।
(एनएच लाइव नालंद।)
चित्र पर पुष्प अर्पित कर दी गई श्रद्धांजलि।
नालंदा/रविवार को सुबह 08 बजे स्थानीय बिहारशरीफ के मोगलकुआँ मोहल्ले में राष्ट्रीय नाई महासभा कार्यालय में राष्ट्रीय नाई महासभा के तत्वावधान में मंगल पाण्डेय की 160 वीं पुण्यतिथि मनाई गई।
राष्ट्रीय नाई महासभा कार्यालय में शिक्षाविदों,समाजसेवियों,व बुजुर्गों के बीच राष्ट्रीय नाई महासभा के प्रदेश महासचिव, प्रदेश प्रवक्ता सह प्रदेश मीडिया प्रभारी राकेश बिहारी शर्मा ने कहा कि मंगल पांडे भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के अग्रदूत थे। उनके द्वारा भड़काई गई क्रांति की ज्वाला से अंग्रेज़ शासन बुरी तरह हिल गया।
हालाँकि अंग्रेजों ने इस क्रांति को दबा दिया पर मंगल पांडे की शहादत ने देश में जो क्रांति के बीज बोए उसने अंग्रेजी हुकुमत को 100 साल के अन्दर ही भारत से उखाड़ फेका। सन 1857 की क्रांति के दौरान मंगल पाण्डेय ने एक ऐसे विद्रोह को जन्म दिया जो जंगल में आग की तरह सम्पूर्ण भारत में फ़ैल गया।
यह भले ही भारत के स्वाधीनता का प्रथम संग्राम न रहा हो पर यह क्रांति निरंतर आगे बढ़ती गयी। अंग्रेजी हुकुमत ने उन्हें गद्दार और विद्रोही की संज्ञा दी पर मंगल पाण्डेय प्रत्येक भारतीय के लिए एक महानायक हैं। मंगल पाण्डेय का जन्म 30 जनवरी 1831 को संयुक प्रांत के बलिया जिले के नगवा गांव में हुआ था।
इनके पिता का नाम दिवाकर पांडे तथा माता का नाम श्रीमती अभय रानी था। सामान्य ब्राह्मण परिवार में जन्म लेने के कारण युवावस्था में उन्हें रोजी-रोटी की मजबूरी में अंग्रेजों की फौज में नौकरी करने पर मजबूर कर दिया। वो सन 1849 में 22 साल की उम्र में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना में शामिल हुए। मंगल बैरकपुर की सैनिक छावनी में “34वीं बंगाल नेटिव इन्फैंट्री” की पैदल सेना में एक सिपाही थे।
भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करनेवालों में राष्ट्रीय नाई महासभा के प्रदेश सचिव विनय कुमार आलोक, समाजसेवी राजेश ठाकुर, रामसागर राम, धीरज कुमार, अखिलेश कुमार, मनोज कुमार, शिवेंद्र कुमार, अजित कुमार मिश्रा, सुभास प्रसाद यादव, संजय कुमार, अनिल कुमार सहित दर्जनों लोग मौजूद थे।
(एनएच लाइव नालंद।)
चित्र पर पुष्प अर्पित कर दी गई श्रद्धांजलि।
नालंदा/रविवार को सुबह 08 बजे स्थानीय बिहारशरीफ के मोगलकुआँ मोहल्ले में राष्ट्रीय नाई महासभा कार्यालय में राष्ट्रीय नाई महासभा के तत्वावधान में मंगल पाण्डेय की 160 वीं पुण्यतिथि मनाई गई।
राष्ट्रीय नाई महासभा कार्यालय में शिक्षाविदों,समाजसेवियों,व बुजुर्गों के बीच राष्ट्रीय नाई महासभा के प्रदेश महासचिव, प्रदेश प्रवक्ता सह प्रदेश मीडिया प्रभारी राकेश बिहारी शर्मा ने कहा कि मंगल पांडे भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के अग्रदूत थे। उनके द्वारा भड़काई गई क्रांति की ज्वाला से अंग्रेज़ शासन बुरी तरह हिल गया।
हालाँकि अंग्रेजों ने इस क्रांति को दबा दिया पर मंगल पांडे की शहादत ने देश में जो क्रांति के बीज बोए उसने अंग्रेजी हुकुमत को 100 साल के अन्दर ही भारत से उखाड़ फेका। सन 1857 की क्रांति के दौरान मंगल पाण्डेय ने एक ऐसे विद्रोह को जन्म दिया जो जंगल में आग की तरह सम्पूर्ण भारत में फ़ैल गया।
यह भले ही भारत के स्वाधीनता का प्रथम संग्राम न रहा हो पर यह क्रांति निरंतर आगे बढ़ती गयी। अंग्रेजी हुकुमत ने उन्हें गद्दार और विद्रोही की संज्ञा दी पर मंगल पाण्डेय प्रत्येक भारतीय के लिए एक महानायक हैं। मंगल पाण्डेय का जन्म 30 जनवरी 1831 को संयुक प्रांत के बलिया जिले के नगवा गांव में हुआ था।
इनके पिता का नाम दिवाकर पांडे तथा माता का नाम श्रीमती अभय रानी था। सामान्य ब्राह्मण परिवार में जन्म लेने के कारण युवावस्था में उन्हें रोजी-रोटी की मजबूरी में अंग्रेजों की फौज में नौकरी करने पर मजबूर कर दिया। वो सन 1849 में 22 साल की उम्र में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना में शामिल हुए। मंगल बैरकपुर की सैनिक छावनी में “34वीं बंगाल नेटिव इन्फैंट्री” की पैदल सेना में एक सिपाही थे।
भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करनेवालों में राष्ट्रीय नाई महासभा के प्रदेश सचिव विनय कुमार आलोक, समाजसेवी राजेश ठाकुर, रामसागर राम, धीरज कुमार, अखिलेश कुमार, मनोज कुमार, शिवेंद्र कुमार, अजित कुमार मिश्रा, सुभास प्रसाद यादव, संजय कुमार, अनिल कुमार सहित दर्जनों लोग मौजूद थे।

No comments:
Post a Comment